कभी किसी के गोल और लाल गाल देख कर लोगों को कहते सुना होगा कि बड़े टमाटर जैसे लाल हो रहे हो. जी हां टमाटर जैसे गोल और लाल रौनकदार चेहरे कि रंगत पाने के लिए टमाटर का उपयोग किया जा सकता है. टमाटर एक ऐसी सब्जी है जो लगभग बारहो मॉस बाजार में उपलब्ध होती है. लेकिन टमाटर मात्र एक सब्जी नहीं है इसमें भरपूर पोषक तत्व होते हैं टमाटर में में कैल्शियम, फास्फोरस व विटामिन सी भरपूर मात्र मैं पाया जाता है. हालाँकि टमाटर का स्वाद अम्लीय (खट्टा) होता है, लेकिन यह शरीर में क्षारीय (खारी) प्रतिक्रियाओं को जन्म देता है। लाल-लाल टमाटर देखने में सुन्दर और खाने में स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक होते हैं। इसके खट्टे स्वाद का कारण यह है कि इसमें साइट्रिक एसिड और मैलिक एसिड पाया जाता है जिसके कारण यह प्रत्यम्ल (एंटासिड) के रूप में काम करता है। टमाटर में विटामिन ‘ए’ काफी मात्रा में पाया जाता है। यह आँखों के लिये बहुत लाभकारी है।
टमाटर के कुछ घरेलू उपयोग:
-यदि एसिडिटी की शिकायत हो तो रोजाना टमाटर का उपयोग करने से ,एसिडिटी में रहत मिलती है
– बच्चों को सूखा रोग होने पर आधा गिलास टमाटर के रस का सेवन कराने से फायदा होता है।
-दो या तीन पके हुए टमाटरों का नियमित सेवन करने से बच्चों का विकास शीघ्र होता है।
-शरीर का भार घटाने के लिए सुबह-शाम एक गिलास टमाटर का रस पीना लाभप्रद है।
-यदि गठिया रोग में एक गिलास टमाटर के रस की चटनी तैयार करके उसमें एक चम्मच अजवायन का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम उपयोग करने से लाभ होता है।
-गर्भवती महिलाओं के लिए सुबह एक गिलास टमाटर के रस का सेवन फायदेमंद है
– टमाटर शरीर से गुर्दे के रोग को पैदा करने वाले जीवाणुओं निकाल बहार कर देता है.
-पेशाब में शुगर कि मात्र को घटने के लिए टमाटर के जूस का उपयोग लाभकारी है
-ताजे एवं लाल टमाटर को काले नमक के साथ सुबह सुबह प्रयोग करने से पाचन क्षमता बढ़ती है .
– टमाटर इतने पौष्टिक होते हैं कि सुबह नाश्ते में केवल दो टमाटर सम्पूर्ण भोजन के बराबर होते हैं। ऐसा नियमित सेवन करते रहने से आपके वजन में जरा भी वृद्धि नहीं होगी। इसके साथ साथ यह पूरे शरीर के छोटे-मोटे विकारों को भी दूर करता है।
– टमाटर के नियमित सेवन से श्वास नली का शोथ कम होता है। प्राकृतिक चिकित्सकों का कहना है कि टमाटर खाने से अतिसंकुचन भी दूर होता है और खाँसी तथा बलगम से भी राहत मिलती है।
– अधिक पके लाल टमाटर खाने वालों को कैन्सर रोग नहीं होता। इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
Category Archives: Uncategorized
गाजर में छुपा है सेहत का राज
गाजर में छुपा है सेहत का राज
आज कल गाजर खूब बाजार में आ रही है। ऐसे में गाजर का उपयोग करके आप अपनी सेहत को दुरुस्त कर सकते हैं। वैसे भी आयुर्वेद कहता है कि सीजन या ऋतुगत सब्जियां एवं फल हमेशा शरीर के लिए लाभप्रद होते हैं। गाजर में भरपूर विटामिन ए पाया जाता है। आज हम गाजर से जुड़े कुछ घरेलू उपाय बताते हैं-
– गाजर के सेवन से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
-यदि आपके शरीर पर कहीं भी खाज या खुजली हो गई है। त्वचा में बहुत जलन होती है तो गाजर को पीस कर गरम कर लें। उसमें हल्का सा सेंधा नमक मिला कर उस स्थान पर लेप कर लें जिस स्थान पर खाज अथवा खुजली पीड़ा दे रही है। आपको आराम पहुंचेगा।
– रोजाना एक गिलास गाजर का जूस पीने से स्मरण शक्ति का विकास होता है।
-यदि आप गठिया के मरीज है। तो एक गिलास गाजर के रस से एक चम्मच अजमोदा चूर्ण दिन में तीन बार उपयोग करें।
-यदि भूख न लगती हो, अरुचि हो गई हो तो ऐसे में गाजर में नमक नींबू लगा कर अदरक और पुदीने के साथ सेवन करने से भूख लगने लगती है। अरुचि नष्ट हो जाती है।
-मधुमेह के रोगियों के लिए गाजर अमृत समझी जाती है। एक गिलास गाजर के रस में एक कप करेले का रस मिला कर पीने से मधुमेह में लाभ मिलता है। या एक गिलास गाजर के रस में आधा कप आंवले का रस मिला कर दिन में दो तीन बार पीने से मधुमेह में लाभ मिलता है। या गाजर के साथ पालक मिलाकर उसका जूस निकाल कर उसमें थोड़ा काला नमक इस्तेमाल करके मधु मेह में लाभ मिलता है।
-यदि मूत्र संस्थान में पथरी की शिकायत हो तो रोजाना एक गाजर का सेवन करें। ऐसा करने से पथरी धीरे धीरे पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाएगी। ऐसा करने से मूत्रअवरोध भी दूर हो जाता है। पेशाब खुल कर आता है।
-यदि मूंह में छाले हो गये हैं तो ऐसे में गाजर के रस को मुंह में घुमा कर कुल्ला करके उस जूस को पी लेने से मुंह के छालों में राहत मिलती है।
-गाजर रक्त को शुद्ध करता है। इसके सेवन से शरीर की शक्ति बढ़ती है। बुढ़ापा दूर होता है। मानसिक और शारीरिक दोनों क्षमताएं विकसित होती है।
-यदि दूध पिलाने वाली स्त्री को दूध न बन रहा हो तो गाजर का इस्तेमाल करके प्रसूता को दूध बनने लगता है।
-गाजर में क्योंकि फाइबर की अधिकता होती है इसलिए यदि गाजर को चबा चबा कर खाया जाए तो आंतों की सफाई हो जाती है। जिससे कब्ज और गैस की समस्या में आराम मिलता है।
कब्ज दूर करने के कुछ नुश्खे
परहेज से रहना जरूरी है
फेस बुक पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर (9 july 2013)
वैद्य सत्य प्रकाश आर्य प्रसिद्ध नाडी विशेषज्ञ
भारत में प्राचीन काल से ही जो चिकित्सा पद्धति प्रचलित थी, उसमें चिकित्सक के पास जाकर मरीज को अपने रोग के बारे में बताने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। बल्कि इसके उलट चिकित्सक , रोगी की बाह्य एवं आंतरिक दशा देख और जांच कर उसकी परेशानी का शब्दस: वर्णन कर देता था। मसलन नाड़ी देख कर पूरे शरीर का हाल बता देना चिकित्सक का काम होता था। नाडी देख कर शरीर में चाहे जैसी भी बीमारी क्यों न हो, बीपी की शिकायत से लेकर कैंसर तक की स्थिति का ब्योरा, केवल व्यक्ति की नाड़ी देख कर बताया जा सकता था। आधुनिक युग में शरीर में स्थित रोगों की जांच के लिए कई तकनीकी मदद ली जाती हैं। लेकिन प्राचीन काल से शारीरिक परीक्षण की जो विधि प्रयोग में लाई जाती रही है वह नाड़ी ज्ञान ही है। आज भारत में इस प्राचीन विधा को जानने वाले बहुत कम वैद्य बचे हैं। जिनमें वैद्य सत्यप्रकाश आर्य का नाम बहुत सम्मान जनक तरीके से लिया जाता है। वैद्य सत्यप्रकाश आर्य जी न केवल भारत में बल्कि विदेशों तक में नाड़ी ज्ञान के लिए प्रसिद्ध है।
वैद्य सत्य प्रकाश आर्य जी का जन्म हरियाणा के जिला सोनीपत स्थित गांव फरमाना में सन 1964 को हुआ था। आर्य जी के पिता मास्टर रामनारायण आर्य खुद एक वैदिक विज्ञान के ज्ञाता थे, उन्होंने आधुनिक युग में यज्ञ के महत्व पर सार्वजनिक रूप से कई हजार प्रदर्शन किये जिनमें यज्ञ के महत्व को दर्शाया गया। मसलन यज्ञ से बारीश कराने का प्रत्यक्ष प्रमाण उन्होंने अपने जीवन काल में हजारों बार दिया। वैद्य सत्यप्रकाश आर्य के यहाँ आज भी दैनिक यग्य की परंपरा जीवित है. रोजाना सुबह और शाम वैदिक ऋचाओ से यज्ञ होता है. जिसके प्रभाव में औषधियां तैयार की जाती है।
वैद्य सत्यप्रकाश आर्य ने वैद्य कुशलता एवं नाड़ी परीक्षण कला तो अपने नाना जी से अर्जित की, जिनके सानिध्यम में वह अपने बाल्यकाल से ही रहे। इनके नाना स्व. मेहर सिंह दिल्ली के प्रसिद्ध वैद्य थे। उनके द्वारा अनुभूत नुश्खे और आयुर्वेदिक योग आयुर्वेद जगत में आज भी बहुत कारगर हैं। वैद्य जी ने बाबा मस्तनाथ आयुवैदिक कॉलेज रोहतक से बी ए एमस की डिग्री प्राप्त की। वैद्य जी ने न केवल आयुर्वेद में शिक्षा ग्रहण की बल्कि ज्योतिष शास्त्र का भी गहन अध्ययन किया। क्योंकि भारत में प्राचीन काल से ज्योतिष और आयुर्वेद को सम्मलित रूप से देख कर ही चिक्तिसा की जाती रही है।
पिछले 25 वर्षों से वैद्य सत्य प्रकाश आर्य निरंतर नाड़ी परीक्षण विधा से आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में कार्य कर रहे हैं।भारत ही नहीं, पूरे एसिया महाद्वीप एवं यूरोप के अधिकतम देशों में वैद्य सत्य प्रकाश आर्य चिकित्सक के रूप में निरंतर दौरा करते रहते हैं।
वैद्य सत्य प्रकाश आर्य नाड़ी देख कर शरीर की न केवल सभी व्याधियों के बारे में पता लगाते हैं बल्कि उस रोग के ठीक-ठीक कारण का पता लगा कर उस रोग का जड़ से निदान बताते हैं। मुख्य रूप से पुराने से पुराना सिर दर्द, माईग्रेन, सर्वाइकल,जोड़ों का दर्द, गठिया बाय, शुगर, ब्लडप्रेशर, अनिद्रा, उदर रोग, चर्म रोग जैसे लगभग सभी पीड़ादायी रोगों के निवार्ण में वैद्य जी को महारत हांसिल हैं।
चिकित्सा जगत के अलावा वैद्य सत्य प्रकाश आर्य राष्ट्र-प्रेम की एक अलग मिसाल कायम कर रहे हैं। वैद्य जी देश के अमर शहीदों के प्रति विशेष श्रद्धा भावना और समर्पण के भाव से भरे हैं। वैद्य सत्य प्रकाश आर्य नेता जी सुभाष चंद्र बोस के प्रबल समर्थकों में सुमार हैं। नेता जी जयंति के विराट आयोजनों से लेकर उनके विचारों के प्रचार प्रसार का कार्य वैद्य सत्य प्रकाश आर्य पिछले 30 वर्षों से निरंतर कर रहे हैं। राष्ट्र हित में गौशालाओं के उत्थान के लिए उनके द्वारा किये गये कार्य उल्लेखनीय हैं। गौशाला और राष्ट्रसेवा के उनके विशिष्ठ कार्यों के लिए उन्हें कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जा चुका है।
वैद्य सत्य प्रकाश आर्य मातृ-पितृ सेवा को ही परम् ईश्वर की भक्ति बताते हैं। उनका मानना है कि तीन माताओं की सेवा करना प्रत्येक व्यक्ति का धर्म हैं। और इन तीनों माताओं के आर्शीवाद से भी व्यक्ति जीवन में सुखी और स्वस्थ रह सकता है। जन्म देने वाली माता, भारत माता और गौमाता इन तीनों क सेवा करना प्रत्येक जीवधारी का पहला कर्तव्य है।
वैद्य सत्य प्रकाश आर्य धार्मिक उन्मादों से ऊपर उठ कर मानव मंदिर बनाने की कल्पना करते हैं। वैद्य सत्य प्रकाश आर्य वैदिक वांडमय की उत्तम जीवन पद्धति का प्रचार और प्रसार कर रहे हैं। देश भर में अनेकों स्थानों पर वैद्य सत्यप्रकाश आर्य के चिकित्सालय की शाखाएं निरंतर स्थापित हो रही हैं।
वैद्य सत्य प्रकाश आर्य का राष्ट्रवादी चिंतन उनके टीवी पर आ रहे साक्षात्कारों और कार्यक्रमों में परिलक्षित होता है। श्री आर्य जी न केवल एक उत्तम कोटि के चिकित्सक हैं बल्कि समर्पित राष्ट्र सेवक के रूप में भी निरंतर कार्यरत हैं।